मंत्र जप

शिव मंत्र जप शिव के आह्वान से सुख,
शांति और सफलता पाने का प्रभावी और
आसान तरीका माना जाता है। खासतौर
पर शिव भक्ति के खास व शुभ दिनों पर
शिव मंत्र जप द्वारा सात्विक
यानी पवित्र भावों का मनन कर शरीर,
विचार, व्यवहार को साधा जाता है।
शास्त्रों के मुताबिक मंत्र जप के
लिएश्रद्धा और आस्था के साथ
एकाग्रता और मन का संयम भी जरूरी है।
इसके लिए शिव मंत्र जप की मर्यादाएं और
नियम भी बताए गए हैं, जो मंत्र
की कामना और कार्यसिद्धी के लिए
भी बहुत जरूरी माने गए हैं।
जानिए शिव मंत्र जप के सही वक्त व करने
के तरीके से जुड़े खास नियम व तरीके -
- हर मंत्र जप की भांति शिव मंत्र जप के
लिए भी सही वक्त ब्रह्म मुहूर्त
यानी लगभग 4 से 5 बजे या सूर्योदय से
पहले का समय श्रेष्ठ है। शिव भक्ति केलिए
तो प्रदोष काल यानी दिन का ढलना और
रात्रि के आगमन का समय भी मंत्र जप के
लिए उचित माना गया है।
- अगर यह समय भी संभव न हो तो सोने से
पहले का समय भी चुना जा सकता है।
- मंत्र जप प्रतिदिन नियत समय पर
ही करें।
- एक बार मंत्र जप शुरू करने के बाद बार-
बार जगह न बदलें। एक स्थान नियत कर लें।
- मंत्र जप में रुद्राक्ष की 108
दानों की माला का उपयोग करें। यह
असरदार मानी गई है।
- मंत्र जप दिन में करें तो अपना मुंह पूर्व
या उत्तर दिशा में रखें और अगर रात में कर
रहे हैं तो मुंह उत्तर दिशा में रखें।
- किसी विशेष जप के संकल्प लेने के
बादनिरंतर उसी मंत्र का जप
करना चाहिए।
- मंत्र जप के लिए कच्ची जमीन,
लकड़ी की चौकी, सूती या चटाई
अथवा चटाई के आसन पर बैठना श्रेष्ठ है।
सिंथेटिक आसन पर बैठकर मंत्र जप से बचें।
- मंत्र जप के लिए एकांत और शांत
स्थानचुनें। जैसे कोई मंदिर या घर
का देवालय।
- मंत्रों का उच्चारण करते समय यथासंभव
माला दूसरों को न दिखाएं। अपने सिर
को भी कपड़े से ढंकना चाहिए।
- माला घुमाने के लिए अंगूठे और बीच
कीअंगुली का उपयोग करें।
- माला घुमाते समय माला के सुमेरू
यानी सिर को पार नहीं करना चाहिए,
जबकिमाला पूरी होने पर फिर से सिर से
आरंभ करना चाहिए।
- मंत्रों का पूरा लाभ पाने के लिए जप के
दौरान सही मुद्रा या आसन में
बैठनाभी बहुत जरूरी है। इसके लिए
पद्मासन श्रेष्ठ होता है। इसके बाद
वीरासन और सिद्धासन या वज्रासन
को प्रभावी माना जाता है।
- मंत्र जप शुरू करने से पहले मस्तक परभस्म
का त्रिपुण्ड्र लगाएं व शिवलिंग पर
बिल्वपत्र चढाएं और जल
धारा अर्पितकरें।