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पारद शिवलिंग (रसलिंग)


Rasling
पारद शिवलिंग (रसलिंग) का महत्व
पारद शिवलिंग दर्शन मात्र से
ही मोक्षका दाता है इसके पूजा गृह में रहने
मात्र से ही सुयश, आजीविका में सफलता,
सम्मान. पद प्रतिष्ठा ऐवम लक्ष्मी का सतत
आगमन होता है।
भारतीय संस्कृति का विशिष्टय है
कि इसका निर्माण अध्यात्म की सुदृढ़
भित्ती पर उन महर्षियों के
द्वारा किया गया है जो की राग – द्वेष से
रहित , त्रिकालदर्शी एवं दिव्य
दृष्टि सम्पन्न थे | इन्होंने अपनी तपः पूत
बुद्धि से दिव्य ईश्वरीय ज्ञान प्राप्त कर
ऐसी युक्तियों का एवं साधनाओं का ज्ञान हमें
दिया है जो सामान्य मानव की बुद्धि से परे है
|
कोष तो हमारे पास है और चाबी भी है किन्तु
आवश्याकता है सद्गुरु एवं ज्ञानदाता की,
जो हमें बता दें कि चाबी-ताले में डालकर किस
विधि से घुमायें कि कोष कि हाथ लग जावे।
मनुष्य को प्रयत्नों से भौतिक सुख तो प्राप्त
हो सकते है किन्तु आत्म बोध ईश्वर
की अनुकम्पा से ही सम्भव है।
पारद शिवलिंग (रसलिंग) भुक्ति एवं
मुक्ति का दाता है एवं इनकी प्राप्ति में
ही जीवन की पूर्ण सार्थकता है।
इसकी प्राप्ति, दर्शन, अर्चन से पूर्व जन्म के
पाप नष्ट होते हैं ,एवं भाग्य का उदय होता है|
पारद का शोधन कर उसे ठोस रूप में परिणत
करना अत्यंत कठिन एवं असम्भव को सम्भव में
बदल देना है अतः पारद शिवलिंग अत्यंत दुर्लभ
है। तथापि सौभाग्य से जो व्यक्ति इस दुर्लभ
पारद शिवलिंग को प्राप्त कर अपने घर में
इसकी पूजा करते हैं वे अपनी कई पीड़ियों तक
को सुसम्पन्न बनादेते हैं। साथ ही वे
व्यक्ति स्वयं भीइस जगत में धन धान्य पूर्ण
तथा सुख सुविधा पूर्ण जीवन यापन करते हैं।
जीवन में जो लोग उन्नति के शिखर पर
पहुचना चाहते हैं। या जो लोग आर्थिक,
राजनौतिक, व्यापारिक सफलता चाहते हैं उन्हें
पारद शिवलिंग (रसलिंग) का पूजनअपने घर में
अवश्य करना चाहिये। यह मोक्ष
प्राप्ति का अद्वितीय एवम सुनिश्चित साधन
है।
रुद्रसंहिता के अनुसार बाणासुर एवं रावण जैसे
शिव भक्तों ने अपनी वांछित अभिलाषाओं
को पारद शिवलिंग (रसलिंग) के पूजन के
द्वारा ही प्राप्त किया एवम
लंका को स्वर्णमयी बनाकर विश्व कोचकित कर
दिया | अध्यात्म में ऐसी अनेक अन्य क्रियायें
भी हैं किन्तु उनका अबहमें ज्ञान नहीं।
इसका कारण है कि या तो लोगों ने राज
को राज ही बनाये रखा या फिर सद्गुरु
को सुपात्र का अभाव रहा |
पारद शिवलिंग प्रायः दो प्रकार के देखने
को मिलते हैं |एक पूर्ण ठोस जिसकी चल
प्रतिष्ठा कर घर में पूजन होना चाहिए |
दूसरा प्रकार आश्चर्यचकित कर देने वाला है |
इसमें पारा मुर्छित एवं कीलित किया जाता है
यह गोल एवं भरी होता है जिससे भक्त
प्रतिदिन शिवलिंग बना एवं मिटा सकते हैं |
पूजन के समय शिवलिंग का निर्माण कर आवाहन
पूर्वक पूजन कर, विसर्जन के पश्चात् मिटाकर
डिब्बी में रखा जा सकता है| यह यात्राओं में
कही भी ले जाया जा सकता है| पारद पूर्ण
जीवित धातु है इसके साथ सोना रख देने पर
सोने को खा जाता है| दो चार दिन में
हीसोना राख़ के रूप में आपके सामने होगाएवं
मात्र पारद ही उस पात्र में बचेगा| पारद
का मात्र स्पर्श ही सोने पर आश्चर्यचकित
हासोन्मुखी प्रभाव डालता है| पारद हाथ में
लीजिए एक मिनिट में ही आपकी अंगूठी का रंग
सफ़ेदहो जाएगा इसकी सजीवता का इससे
बड़ा प्रत्यक्ष प्रमाण क्या हो सकता है|पारद
शिवलिंग का वजन अत्यधिक होता है
दूसरी कोई धातु इतनी वजनी नहीं होती|
विश्व में ऐसे भाग्यवान लोगों की संख्या कम
ही है, जिन्होंने कंगाल के घर जन्म लेकर भी अपने
घर में पारद शिवलिंग का पूजन किया और जीवन
में पूर्णता प्राप्त की | असंभव को संभव में
बदला | पारद शिवलिंग साक्षात्
शिवका स्वरुप है एवं जिसके घर में पारद
शिवलिंग हैं उसके यहाँ साक्षात् उमा महेश्वर
विराजमान रहते हैं |
सनातन धर्म के कितने ही महत्वपूर्ण ग्रंथों में
इस पारद शिवलिंग
की महत्ता को पढ़ा जा सकता है |
शिवपुराण :-
गोध्नाश्चैव कृतघ्नाश्चैव वीरहा भ्रूणहापि वा
शरणागतघातीच मित्रविश्रम्भघा तकः
दुष्टपापसमाचारी मातृपितृप्रहापि वा
अर्चनात रसलिङ्गेन् तक्तत्पापात प्रमुच्यते |
अर्थात् गौ का हत्यारा , कृतघ्न ,
वीरघती गर्भस्थ शिशु का हत्यारा, शरणगत
का हत्यारा, मित्रघाती, विश्वासघाती,
दुष्ट, पापी अथवा माता-पिता को मारने
वाला भी यदि पारद शिवलिंग की पूजन मन और
भक्ति करता है तो वह भी तुरंत सभी पापों से
मुक्त हो जाता है |
ब्रम्हपुराण :-
धन्यास्ते पुरुषः लोके येSर्चयन्ति रसेश्वरं |
सर्वपापहरं देवं सर्वकामफलप्रदम् ॥
अर्थात् संसार में वे मनुष्य धन्य हैंजो समस्त
पापों को नष्ट करने वाले तथासमस्त
मनोवांछित फलों को प्रदान करने वाले पारद
शिवलिंग की पूजन करते हैं और पूर्ण भौतिक सुख
प्राप्त कर परम गति को प्राप्त कर सकते हैं।
वायवीय संहिता :-
आयुरारोग्यमैश्व र्यं यच्चान्यदपि वाञ्छितं,
रसलिन्गाचर्णदिष्टं सर्वतो लभतेऽनरः
अर्थात् आयु आरोग्य ऐश्वर्य तथा और
जोभी मनोवांछित वस्तुएं हैं उन सबको पारद
शिवलिंग की पूजा से सहज में ही प्राप्त
किया जा सकता है|
शिवनिर्णय रत्नाकर :-
मृदा कोटिगुणं सवर्णम् स्वर्णात् कोटिगुणं मणे:|
मणात् कोटिगुणं त् कोटिगुणं
वाणो वनत्कोतिगुनं रसः|
रसात्परतरं लिङ्गं न् भूतो न भविष्यति||
अर्थात् मिट्टी या पाषाण से करोड़
गुना अधिक फल स्वर्ण निर्मित शिवलिंग के
पूजन से मिलता है | स्वर्ण से
करोड़ो गुना अधिक मणि और मणि से
करोड़ो गुना अधिक फल बाणलिंग नर्मदेश्वर के
पूजन से प्राप्त होता है |नर्मदेश्वर बाणलिंगसे
भी करोड़ो गुना अधिक फल पारद निर्मित
शिवलिंग (रसलिंग) से प्राप्त होता है |इससे
श्रेष्ठ शिवलिंग न तो संसार में हुआ है और न
हो सकता है|
रसर्णवतन्त्र :-
धर्मार्थकाममोक्
षाख्या पुरुषार्थश्चतुर्विधा:
सिद्ध्यन्ति नात्र सन्देहो रसराजप्रसादत:
अर्थात जो मनुष्य पारद शिवलिंग की एक बार
भी पूजन कर लेता है। उसे इस जीवन में ही धर्म,
अर्थ, काम, मोक्ष इन चारोंप्रकार के
पुरुषार्थो की प्राप्ति हो जाती है। इसमें
संदेह करने का लेशमात्र भी कारण नहीं है।
श्लोक:-
स्वयम्भुलिन्ग्स ह्सैर्यत्फ़लम् संयगर्चनात
तत् फलं कोटिगुणितं रसलिंगार्चनाद भवेत्।
अर्थात~ हजारों प्रसिद्ध लिंगों की पूजा से
जो फल मिलता है। उससे करोड़ो गुना फल पारद
निर्मित शिवलिंग (रसलिंग) की पूजा से
मिलता है।
सर्वदर्शन संग्रह:-
अभ्रकं तव बीजं तु मम बीजं तु पारद:
बद्धो पारद्लिङ्गोयं मृत्युदारिद्रयनाशनम्|
स्वयं भगवान शिवशंकर भगवती पार्वती से कहते
हैं कि पारद को ठोस करके तथा लिंगाकार
स्वरुप देकर जो पूजन करता हैउसे जीवन में मृत्यु
भय व्याप्त नहीं होता और किसी भी हालत में
उसके घर दरिद्रता नहीं रहती।
ब्रह्मवैवर्तपुराण:-
पूजयेत् कालत्रयेन यावच्चन्द्रदिवा करौ।
कृत्वालिङ्गं सकृत पूज्यं वसेत्कल्पशतं दिवि॥
प्रजावान भूमिवान विद्द्वान
पुत्रबान्धववास् तथा।
ज्ञानवान् मुक्तिवान् साधु: रसलिंगार्चनाद
भवेत् ॥
अर्थात् जो ऐक बार भी पारद शिवलिंग
काविधि विधान से पूजन कर लेता है वह जब तक
सूर्य और चन्द्रमा रहते हैं तब तक शिवलोक में
वास करता है तथा उसके जीवनमें यश, मान, पद,
प्रतिष्ठा,पुत्र , पौत्र, बन्धु-बान्धव, जमीन-
जायदाद, विद्या आदि में कोई
कमी नहीं रहती और अन्त में वह निश्चय
ही मुक्ति प्राप्त करता है।
अर्थात् पारद शिवलिंग एक महान उपलब्धि है।
यह आदि अनादि देव महादेव का प्रत्यक्ष रुप है
क्योंकि पारद शुभं बीज माना जाता है।
इसकी उत्पत्ति के बारे में कहा गया है कि शिव
के सत्व से उत्पन्न हुआ है। यही कारण है
कि शास्त्रकारों ने इसे साक्षात् शिव
माना है। विशुद्ध पारद को संस्कार
द्वारा बाधित करके यदि किसी भी देवी-
देवता की प्रतिमा बनाई जाए तो वहस्वयं
सिद्ध होती है। वाग्भट्ट के अनुसार
जो व्यक्ति पारद शिवलिङ्ग का भक्तिपूर्वक
पूजन करता है उसे तीनों लोकों में स्थित
शिवलिङ्गो के पूजन काफल प्राप्त होता है।
इसके दर्शन मात्रसैकड़ो अश्वमेघ यज्ञ,
करोड़ो गोदान एवंहजारों स्वर्ण मुद्राओं के
दान करने का फल मिलता है| पारद शिवलिंग
का जिस घर में नित्य पूजन
होता है ,वहा सभी प्रकार के लौकिक-
पारलौकिक सुखो की सहज प्राप्ति होती है।
पारद शिवलिंग आध्यात्मिक तथा भौतिक
पूर्णता को साकार करने में पूर्ण समर्थ है।
प्राचीनकाल से ही देव, दानव, मानव, गन्धर्व,
किन्नर सभी ने महोदव को अपनी साधना ,एवं
तपस्या से प्रसन्न कर श्रेठता को प्राप्त
किया ,एवं काल को अपने वश में कर संसार में
अजेय होकर अपनी विजय पताका फहराई।
आदि अनादि देव महादेव ही ,ऐसे दयालु हैं
जो भक्त के दोषो को अनदेखा करते हुए अल्पायु
मानव को अमरत्व का वरदान प्रदान कर देते
हैं।
ब्रह्मा के लेख के विरुद्ध जो अदेय है, उसे
भी महादेव सहज में ही दे देते हैं।
भाविउ मेटि सकहिं त्रिपुरारि:- ,ऐसे आदि देव
महादेव का प्रत्यक्ष रुप पारदशिवलिंग
की प्राप्ति अत्यधिक दुर्लभ है। यह कामना है
कि संयोगवश आपकी भी भेंट किसी योगी, साधू ,
संत, विद्द्वान या पीर-फकीर से हो जाये और
पूर्ण समर्पित भाव से शिवलिंग को प्राप्त कर
आप उसकी सेवाकर अपने जीवन
की पूर्णता को प्राप्त करें।
हर हर महादेव
साकक्षात पारद शिवलिंग
Paradshivling
Foot Print:5841
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